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    पहलगाम आतंकी हमला: शरद पवार का तीखा बयान और पीएम मोदी की पाकिस्तान पर कड़ी प्रतिक्रिया

    पहलगाम, जम्मू-कश्मीर का एक शांत और पर्यटनप्रिय क्षेत्र, एक बार फिर आतंकी हमले से दहल उठा है। इस हमले ने देशभर में रोष फैला दिया है और एक बार फिर भारत-पाक संबंधों को केंद्र में ला दिया है। इस घटना के बाद जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाया है, वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी सरकार की रणनीति पर सवाल उठाते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।


    क्या हुआ पहलगाम में?

    सूत्रों के अनुसार, पहलगाम में आतंकियों ने अचानक सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया। यह हमला एक सुनियोजित योजना के तहत किया गया, जिसमें घात लगाकर भारतीय जवानों को निशाना बनाया गया। अभी तक इस हमले में कई जवान घायल हुए हैं और जांच एजेंसियां लगातार सुराग इकट्ठा कर रही हैं। इस हमले की जिम्मेदारी फिलहाल किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का होना लगभग स्पष्ट माना जा रहा है।


    शरद पवार का बयान: “निंदा से कुछ नहीं होगा, अब कार्रवाई चाहिए”

    एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस हमले की कड़ी निंदा की है, लेकिन इसके साथ उन्होंने केंद्र सरकार पर भी सवाल खड़े किए। पवार ने कहा,

    "हर बार निंदा करने से आतंकवाद नहीं रुकेगा। सरकार को चाहिए कि वो कड़े और निर्णायक कदम उठाए। जनता सुरक्षा चाहती है, सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं।"

    उन्होंने संसद के आगामी विशेष सत्र पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि

    "यह सत्र सिर्फ दिखावा है, असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है।"


    पीएम मोदी का जवाब: “पाकिस्तान को मिलेगा करारा जवाब”

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने की बात कही। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि

    "देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जो भी इस हमले के पीछे हैं, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

    सूत्रों के अनुसार, सरकार जल्द ही पाकिस्तान के खिलाफ कुछ कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी कदम उठाने की तैयारी में है। आतंकियों की आर्थिक मदद पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत सक्रियता बढ़ा सकता है।


    संसद का विशेष सत्र: संयोग या राजनीतिक रणनीति?

    सवाल यह भी उठ रहा है कि ऐसे संवेदनशील समय में संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है। सरकार का दावा है कि यह सत्र “महत्वपूर्ण विधायी कार्यों” के लिए है, लेकिन विपक्ष इसे एक "राजनीतिक स्टंट" बता रहा है। शरद पवार के अनुसार,

    "सत्ता पक्ष जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए संसद सत्र का उपयोग कर रहा है।"


    निष्कर्ष: क्या अब बदलेगी रणनीति?

    पहलगाम हमला इस बात का संकेत है कि आतंकवाद की चुनौती अब भी उतनी ही गंभीर है। सवाल यह उठता है कि क्या अब सरकार रणनीति में कोई बड़ा बदलाव करेगी? क्या पाकिस्तान को केवल कूटनीतिक चेतावनी से कुछ हासिल होगा या फिर अब सख्त कदम उठाने का समय आ गया है?

    एक ओर जनता आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रही है, वहीं राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर बयानबाज़ी तेज हो गई है। आने वाले दिनों में सरकार के फैसले यह तय करेंगे कि भारत आतंक के खिलाफ कितनी सख्ती दिखाता है।







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